• राहुल के खिलाफ साथ खड़े मोदी-भागवत

    कारपोरेट मीडिया से लेकर यूट्यूब चैनलों पर कांग्रेस पार्टी की अंदरूनी खींचतान, ईवीएम में गड़बड़ी और राहुल गांधी के नेतृत्व को लेकर चर्चाएं आयोजित की जा रही हैं।

    Share:

    facebook
    twitter
    google plus

    —प्रो. रविकांत
    हरियाणा चुनाव नतीजे में भारतीय जनता पार्टी की जीत से ज्यादा कांग्रेस पार्टी की हार पर चर्चा हो रही है। कारपोरेट मीडिया से लेकर यूट्यूब चैनलों पर कांग्रेस पार्टी की अंदरूनी खींचतान, ईवीएम में गड़बड़ी और राहुल गांधी के नेतृत्व को लेकर चर्चाएं आयोजित की जा रही हैं। यह भी आश्चर्यजनक है कि राहुल गांधी ना तो कांग्रेस के अध्यक्ष हैं और ना ही हरियाणा के प्रभारी, फिर भी निशाने पर राहुल गांधी हैं।

    हरियाणा और जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनाव संपन्न हो चुके हैं। चुनावी नतीजों की चर्चा में जोर हरियाणा पर है। जबकि जम्मू-कश्मीर में भारतीय जनता पार्टी चुनाव हारी है। वहां पर नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस पार्टी के इंडिया गठबंधन ने स्पष्ट बहुमत प्राप्त किया है। जम्मू-कश्मीर में धारा 370 खत्म होने (5 अगस्त 2019) के बाद यह पहला विधानसभा चुनाव था। लोकतंत्र की बहाली के लिए हुए चुनाव में भाजपा सरकार द्वारा धारा 370 खत्म करने के फैसले को एक तरह से जम्मू-कश्मीर की जनता ने खारिज कर दिया है। नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस पार्टी के गठबंधन का मुख्य मुद्दा पूर्ण राज्य का दर्जा वापस दिलाना था। जबकि भाजपा सिर्फ परिवारवाद के खिलाफ चुनाव लड़ रही थी। हरियाणा की तरह जम्मू-कश्मीर में भी भाजपा तमाम अघोषित सहयोगियों के भरोसे चुनाव मैदान में थी। भाजपा यहां नए परिसीमन का फायदा उठाना चाहती थी। लेकिन जम्मू-कश्मीर में बीजेपी चुनाव हार गई। आश्चर्य यह है कि जम्मू -कश्मीर में भाजपा की हार और कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस की जीत की कोई चर्चा नहीं हुई। दिलचस्प यह भी है कि जम्मू-कश्मीर में जीत का जश्न मनाने के बजाय इंडिया एलायंस के सहयोगी दल कांग्रेस पर हमलावर हो गए। दूसरी तरफ हरियाणा चुनाव जीतने के बाद नरेंद्र मोदी ने अपने दरकते ब्रांड को पुन: पुष्ट करने के लिए भाजपा कार्यालय में अपने चिर-परिचित अंदाज में जश्न मनाया। गुलाब की पंखुड़ियों की आकाश वर्षा के बीच पूरे राजसी अंदाज में कदमताल करते हुए नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस पार्टी और खासकर राहुल गांधी पर जोरदार हमला किया। जाहिर तौर पर यह हमला आने वाले महाराष्ट्र और झारखंड चुनाव को लक्षित करके किया गया है।

    हरियाणा चुनाव नतीजे में भारतीय जनता पार्टी की जीत से ज्यादा कांग्रेस पार्टी की हार पर चर्चा हो रही है। कारपोरेट मीडिया से लेकर यूट्यूब चैनलों पर कांग्रेस पार्टी की अंदरूनी खींचतान, ईवीएम में गड़बड़ी और राहुल गांधी के नेतृत्व को लेकर चर्चाएं आयोजित की जा रही हैं। यह भी आश्चर्यजनक है कि राहुल गांधी ना तो कांग्रेस के अध्यक्ष हैं और ना ही हरियाणा के प्रभारी, फिर भी निशाने पर राहुल गांधी हैं। हां,यह जरूर है कि वह कांग्रेस पार्टी के स्टार प्रचारक और सबसे ताकतवर नेता हैं। लेकिन इस बात को नजरअंदाज किया जाता है कि राहुल गांधी आज देश के सबसे लोकप्रिय नेता हैं। विपक्ष ही नहीं बल्कि नौजवानों, किसानों, दलितों, आदिवासियों और अल्पसंख्यकों के लिए राहुल गांधी सबसे बड़ी उम्मीद हैं। ऐसे में राहुल गांधी को हरियाणा की हार का जिम्मेदार बताकर भाजपा और कारपोरेट मीडिया उन उम्मीदों को प्रश्नांकित करना चाहता है। जबकि सच्चाई यह है कि केवल 90 सीटों की विधानसभा वाले राज्य हरियाणा में कांग्रेस की हार से राहुल गांधी की छवि, उनकी विश्वसनीयता और लोकप्रियता पर कोई असर नहीं होने वाला। लेकिन कांग्रेस पार्टी के सांगठनिक ढांचे, हरियाणा के नेताओं की खींचतान और भूपेंद्र सिंह हुड्डा के मनमानेपन ने कांग्रेस को नुकसान पहुंचाया है। जाहिर तौर पर हरियाणा चुनाव के प्रभारी, पर्यवेक्षक और पार्टी के संगठन सचिव से लेकर हरियाणा कांग्रेस के दिग्गज नेताओं की नाकामी की वजह से कांग्रेस पार्टी ने चुनाव गंवाया है।

    हरियाणा चुनाव नतीजों के जरिए राहुल गांधी पर हो रहे हमले के क्या मायने है? क्या हरियाणा की हार से राहुल गांधी की जननेता की छवि ध्वस्त हो गई है? राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा से लेकर लोकसभा चुनाव तक जो अपनी विश्वसनीयता और लोकप्रियता हासिल की है, क्या हरियाणा चुनाव में कांग्रेस की हार से खत्म हो जाएगी? दरअसल, इस तरह का परसेप्शन गोदी मीडिया और आईटी सेल के जरिए बनाया जा रहा है। यह धारणा क्यों बनाई जा रही है, इसे समझना भी बहुत मुश्किल नहीं है। जाहिर तौर पर नरेंद्र मोदी को इस समय सबसे ज्यादा खतरा राहुल गांधी से है। इससे पूर्व आरएसएस और गुजरात लॉबी के बीच टकराव की खबरें चल रही थीं। माना जाता है कि आरएसएस मोदी और शाह के पर कतरना चाहता है। इसलिए नरेंद्र मोदी को खतरा आरएसएस से है। लेकिन सच यह है कि आरएसएस मोदी का अपना घर है। आरएसएस कभी इस तरह का कदम नहीं उठाएगा जिससे भारतीय जनता पार्टी को नुकसान हो। आखिर नरेंद्र मोदी ने आरएसएस के एजेंडे को हर तरह से लागू किया है।

    अल्पसंख्यकों को अघोषित दोयम दर्जे का नागरिक बनाने से लेकर दलितों -पिछड़ों के आरक्षण को अप्रत्यक्ष तरीके से खत्म करके और पुन: मनुवादी व्यवस्था लागू करने की दिशा में नरेंद्र मोदी बढ़ चुके हैं। लोकसभा चुनाव में किया गया संविधान बदलने का ऐलान, दरअसल, आरएसएस का ही पुराना एजेंडा है। इसलिए मोहन भागवत कभी भी नरेंद्र मोदी के लिए खतरा नहीं बन सकते। भाजपा, आरएसएस और मोदी के लिए आज सबसे बड़ी चुनौती व्यक्ति के तौर पर राहुल गांधी हैं। आज जहां कांग्रेस पार्टी खड़ी है उसमें एकमात्र और सबसे बड़ी भूमिका राहुल गांधी की है। राहुल गांधी ने कांग्रेस पार्टी को फिर से लोगों की उम्मीद बनाकर खड़ा किया है। यह राहुल गांधी के संघर्ष और लगातार मोदी सत्ता से जूझते रहने का ही नतीजा है। राहुल गांधी जवाहरलाल नेहरू के बाद कांग्रेस पार्टी के इकलौते नेता हैं जो आरएसएस को खुलकर चुनौती ही नहीं दे रहे हैं बल्कि उससे निपटने के लिए तैयार भी हैं। यही वजह है कि जब मामला राहुल गांधी का होगा तो मोहन भागवत और नरेंद्र मोदी एक साथ खड़े नजर आएंगे।

    हरियाणा में कांग्रेस पार्टी की हार के लिए राहुल गांधी को जिम्मेदार बताया जा रहा है। इसके जरिए यह भी कहा जा रहा है कि नरेंद्र मोदी के मुकाबले राहुल गांधी नहीं टिक सकते। जबकि सच्चाई यह है कि हरियाणा चुनाव प्रचार के दौरान नरेंद्र मोदी भीड़ नहीं खींच पाने के कारण केवल चार रैलियां करके खामोश हो गए। चुनाव प्रचार के अंतिम दो दिन तो उन्होंने हरियाणा जाने की हिम्मत भी नहीं की। इसके बरक्स राहुल गांधी लगातार चार दिन अपनी विजय संकल्प यात्रा करते रहे। राहुल गांधी की यात्रा और रैलियों में बहुत भीड़ जुटती रही। इनमें उन्होंने बुनियादी मुद्दों को उठाया और हरियाणा के लोगों के विकास का एजेंडा प्रस्तुत किया। उन्होंने विभाजनकारी धर्म आधारित सांप्रदायिक राजनीति का डटकर मुकाबला किया। प्रेम, सौहार्द और सबको साथ लेकर चलने का उन्होंने वादा किया। किसानों और नौजवानों के सवालों के साथ सामाजिक न्याय के मुद्दों को राहुल गांधी पूरी ईमानदारी और निष्ठा से उठाते रहे हैं। सच बात यह है कि नफरत, हिंसा और पाखंड से बाहर निकालकर भारत की राजनीति को राहुल गांधी ने मानवीय और संवेदनशील बनाया है।

     

    Share:

    facebook
    twitter
    google plus

बड़ी ख़बरें

अपनी राय दें